गुरुवार, 21 जनवरी 2016

जो कुछ है सब तोर




!!!---: जो कुछ है सब तोर :---!!!
============================
इस कथा में संस्कृत में पढें--- http://laukiksanskrit.blogspot.in/2016/01/www_24.html
एक था राजा । बडे परिश्रम से राज्य करता था । बहुत ध्यान रखता था प्रजा का । परन्तु ध्यान करते हुए भी थक जाता था । अन्त में दुःखी होकर वह अपने गुरु के पास गया । गुरुजी एक वन में एक वृक्ष के नीचे रहते थे ।

उनके पास जाकर बोला---"गुरुदेव ! मैं इस राज्य के झंझटों से , इसकी समस्याओं से , इसकी उलझनों से दुःखी हो गया हूँ । एक समस्या को हल करता हूँ तो दूसरी आकर खडी हो जाती है, दूसरी को सुलझाता हूँ तो तीसरी आ जाती है । नित्य नई उलझन, नित्य नए झगडे । मैं तो दुःखी हो गया हूँ इस जीवन से, क्या करूँ ?"

गुरुजी ने कहा---"राजन् ! ऐसी बात है तो छोड दे इस राज्य को ।"

राजा ने कहा---- "कैसे छोडूँ ? राज्य छोड देने से इसकी समस्याएँ सुलझ नहीं जाएँगी । सब-कुछ तितर-बितर हो जाएगा । अराजकता फैल जायेगी चहुँ ओर ।"

गुरुजी ने कहा--"बहुत अच्छा, अपने पुत्र को राज्य दे दे । तू मेरे पास आकर रह, जैसा मैं रहता हूँ, वैसे ही निश्चिन्त होकर रह ।"

राजा ने कहा---"परन्तु मेरा पुत्र तो अभी छोटा-सा बच्चा है, वह इस भार को सँभालेगा कैसे ?"

गुरुजी ने कहा---"बहुत अच्छा, तो फिर तू अपना राज्य मुझे दे दे, मैं चलाऊँगा उसे ।"

राजा ने कहा---"यह मुझे स्वीकार है ।"

गुरुदेव ने कहा----"तो हाथ में पानी लेकर संकल्प कर । सारा राज्य मुझे दान कर दे ।"

राजा ने ऐसा ही किया और उठकर चल पडा ।

गुरुजी ने पूछा---"अब कहाँ जा रहे हो ?"

राजा ने कहा---"कोष से कुछ रुपया लेकर किसी दूसरे देश में जाऊँगा । वहाँ व्यापार करके जीवन व्यतीत करूँगा ।"

गुरुजी ने हँसते हुए कहा---"राज्य मुझे दे दिया तो कोष भी मेरा ही हो गया । अब उस पर तेरा क्या अधिकार है ?"

राजा ने सिर झुकाकर कहा----"वास्तव में कोई अधिकार नहीं । राज्य में मैं वापस नहीं जाऊँगा ।"

गुरुजी ने पूछा---"तो फिर क्या करेगा ?"

राजा बोला---"कहीं जाकर नौकरी करूँगा ।"

गुरुजी बोले---"यदि नौकरी ही करनी है तो मेरी ही कर ले । इतना बडा राज्य है मेरे पास । उसे चलाने के लिए किसी-न-किसी को तो रखना ही पडेगा । तू ही यह काम कर । मुझे सेवक की आवश्यकता है, तुझे सेवा की । बोल---यह काम करेगा ?"

राजा ने सोचते हुए कहा---"करूँगा ।"

गुरुजी बोले---"तो जा, आज से मेरा सेवक बनकर राज्य को चला । वहाँ कुछ भी तेरा नहीं । भला हो, बुरा हो, हानि हो, लाभ हो, सब मेरा होगा । तुझे केवल वेतन मिलेगा ।"

राजा ने इस बात को स्वीकार कर लिया । वापस आकर राज्य चलाने लगा । कोई एक मास के बाद गुरुजी ने आकर पूछा---"कहो भाई, अब इस राज्य को चलाने में कैसा लगता है ? अब भी दुःखी हो क्या , अब भी क्या जीवन संकटमय लगता है क्या ?'

राजा ने कहा---'नहीं महाराज ! अब इसमें मेरा क्या है मैं तो नौकरी करता हूँ---पूरे ध्यान से, परिश्रम से करता हूँ और फिर रात को निश्चिन्त होकर सोता हूँ ।"

शिक्षा----

तो सुनो भाई, यह है वह साधन, जिसको अपनाने के पश्चात् मनुष्य कर्म करता हुआ भी उसमें लिप्त नहीं होता । अपने-आपको स्वामी न समझो , सेवक समझो । यह सब-कुछ तुम्हारा है ही नहीं । तुम केवल अपना कर्त्तव्य पालन करने के लिए आए हो । उसे पूर्ण करो और चलो जाओ ।

"मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सब तोर ।
तेरा तुझको सौंपते, क्या लागत है मोर ।।"


============================


हमारे सहयोगी पृष्ठः--
(1.) वैदिक संस्कृत
www.facebook.com/vaidiksanskrit
www.facebook.com/vedisanskrit
(2.) लौकिक संस्कृत
www.facebook.com/laukiksanskrit
(3.) ज्ञानोदय
www.facebook.com/jnanodaya
(4.) शिशु-संस्कृतम्
www.facebook.com/shishusanskritam
(5.) मन की बात
www.facebook.com/gyankisima
(6.) चाणक्य नीति
www.facebook.com/chaanakyaneeti
(7.) गीर्वाणवाणी
www.facebook.com/girvanvani
(8.) भारत महान्
www.facebook.com/jaibharatmahan
(9.) कथा-मञ्जरी
www.facebook.com/kathamanzari
(10.) काव्याञ्जलिः
www.facebook.com/kavyanzali
हमारे समूहः---
(1.) वैदिक संस्कृत
https://www.facebook.com/groups/www.vaidiksanskrit
(2.) लौकिक संस्कृत
https://www.facebook.com/groups/laukiksanskrit
(3.) ज्ञानोदय
https://www.facebook.com/groups/jnanodaya
(4.) नीतिदर्पण
https://www.facebook.com/groups/neetidarpan
(5.) भाषाणां जननी संस्कृत भाषा
https://www.facebook.com/groups/bhashanam
(6.) शिशु संस्कृतम्
https://www.facebook.com/groups/bharatiyasanskrit
(7.) संस्कृत प्रश्नमञ्च
https://www.facebook.com/groups/sanskritprashna
(8.) भारतीय महापुरुष
https://www.facebook.com/groups/bharatiyamaha
(9.) आयुर्वेद और हमारा जीवन
https://www.facebook.com/groups/vedauraaryurved
(10.) जीवन का आधार
https://www.facebook.com/groups/tatsukhe
(11.) आर्यावर्त्त निर्माण
https://www.facebook.com/groups/aaryavartnirman
(12.) कृण्वन्तो विश्वमार्यम्
https://www.facebook.com/groups/krinvanto
(13) कथा-मञ्जरी
https://www.facebook.com/groups/kathamanzari
(14.) आर्य समाज पंजाब
https://www.facebook.com/groups/aryasamaja
(15.) आर्य फेसबुक
https://www.facebook.com/groups/aryavaidik

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें